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जब चाहा तलवार समझकर मुझको इस्तेमाल किया / मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
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03:55, 24 मार्च 2014
हम तो बर्ज़ख़ हो या जन्नत उसकी मर्ज़ी में ख़ुश हैं
जिसको दोज़ख़ <ref> नर्क </ref> में रहना है उसने क़ीलो-क़ाल <ref>तर्क-वितर्क</ref> किया
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द्विजेन्द्र द्विज
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