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तुम मेरी विधवा आठ बरस से-4 / नाज़िम हिक़मत
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08:25, 29 नवम्बर 2007
बादल गुज़रते हैं : ख़बरों से लदे हुए । भारी
तुम्हारी वह
चिट्टी
चिट्ठी
जो अभी मिली नहीं मुझे, उसे गुड़ी-मुड़ी करता हूँ
दिल के आकार की बरौनियों की नोकों पर :
अनिल जनविजय
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