गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कवि / भवानीप्रसाद मिश्र
1 byte removed
,
12:09, 1 अप्रैल 2014
बीज ऐसा बो कि जिसकी बेल बन बढ़ जाये.
फल लगें ऐसे कि सुख रस, सार और समर्थ
प्राण- संचारी कि शोभा-भर न जिनका अर्थ.
टेढ़ मत पैदा करे गति तीर की अपना,
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,131
edits