Changes

पाखंड / अरुण श्रीवास्तव

3 bytes added, 04:48, 19 अप्रैल 2014
कवि!
तुम स्त्री होने की घोषणा करते हो स्त्री लिखते हुए
मानो भोगा हो तुमनतुमने-
- अपवित्र दिनों की धार्मिक उपेक्षाएँ
- प्रसव पीड़ा और रोते बच्चे को सुलाने का सुख भी!
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits