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पाखंड / अरुण श्रीवास्तव
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04:48, 19 अप्रैल 2014
कवि!
तुम स्त्री होने की घोषणा करते हो स्त्री लिखते हुए
मानो भोगा हो
तुमन
तुमने
-
- अपवित्र दिनों की धार्मिक उपेक्षाएँ
- प्रसव पीड़ा और रोते बच्चे को सुलाने का सुख भी!
Gayatri Gupta
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