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परिशिष्ट-2 / कबीर

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कबीर कस्तूरी भया भवर भये सब दास।
ज्यों ज्यों भगति कबीर की त्यों त्यों राम निवास॥21॥
 
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कागद केरी ओबरी मसु के कर्म कपाट।
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