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रे दिल गाफिल / कबीर
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सौदा करने या जग आया
पूजी लाया मूल
गॅंवाया
गँवाया
प्रेमनगर का अन्त न पाया
ज्यों आया त्यों जावेगा॥ १॥
Sharda suman
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