|संग्रह=
}}
[[Category:भजन]]{{KKCatBhajan}}
<poem>
बीत गये दिन भजन बिना रे।
भजन बिना रे भजन बिना रे॥
बाल अवस्था खेल गवांयो।गँवायो।
जब यौवन तब मान घना रे॥
लाहे कारण मूल गवाँयो।गँवायो।
अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे॥
कहत कबीर सुनो भ भई साधो।
पार उतर गये संत जना रे॥
</poem>