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04:39, 21 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनूप सेठी
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<poem>
छुरे और छर्रे
बंदूक और भाले
राइफल और रॉकेट
आग लगे और गल जाएं
पटड़ियां बन बिछ जाए सारा लोहा
तोड़ने वालों की छाती पर दौड़ूं
जोड़ने वालों की बन कर रेल.
</poem>
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