Changes

भोली इच्छाएं-4 / अनूप सेठी

534 bytes added, 04:39, 21 अप्रैल 2014
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनूप सेठी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavit...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनूप सेठी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
छुरे और छर्रे
बंदूक और भाले
राइफल और रॉकेट
आग लगे और गल जाएं
पटड़ियां बन बिछ जाए सारा लोहा
तोड़ने वालों की छाती पर दौड़ूं
जोड़ने वालों की बन कर रेल.
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits