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आनन्दमयी माँ / भजन

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{{KKBhajanKKRachna|रचनाकार=अज्ञात|अनुवादक=|संग्रह=}}{{KKCatKavita}}{{KKAnthologyMaaKKCatBhajan}}<poem>या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता |नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः || || 5\.73|| (durgasaptashati)
नमस्तेस्तु महारौद्रे महाघोरपराक्रमे ।
महाबले महोत्साहे महाभयविनाशिनि ॥ .. 16.. (durga kavacha)
बोलो श्री श्री आनन्दमयी माँ की जय |
ब्रह्ममयी माँ । प्रेममयी माँ ॥
आनन्दमयी माँ | आनन्दमयी माँ ||
 
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ॥ ५ ॥ (सप्तश्लोकी दुर्गा)
 
ॐ भवताप प्रणाशिन्यै आनन्दघन मूर्तये ।