{{KKRachna
|रचनाकार=पद्माकर
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गुलगुली गिलमैं गलीचा है गुनीजन हैं,
चाँदनी हैं चिक हैं चिरागन की माला है .
कह ‘पदमाकर’ त्यों गजक गिजा हैं सजी,
सेज हैं सुराही हैं सुरा हैं और प्याला हैं.
सिसिर के पला को न व्यापत कसाला तिन्हैं,
जिनके अधीन एते उदित मसाला हैं.
तान तुक ताला हैं, बिनोद के रसाला हैं ,सुबाला हैं दुसाला हैं बिसाला चित्रसाला हैं .</poem>