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01:35, 6 मई 2014 [[Category:हाइकु]]
<poem>
'''1
गर्मी जो आई
धूप लेती जम्हाई
लू अलसाई।
2
पसीने भीगे
कलियों के चेहरे
लूएँ हैं छेड़े।
3
ये दुपहरी
बतियाती फिरती
क्यों न थकती।
4
पगडंडियाँ
हैं अलसाई पड़ी
जिद्दी हैं बड़ी।
5
क्या कर जाएँ
सिरफिरी हवाएँ
कैसे बताएँ।
6
ऊँघता कुआँ
जून की दुपहरी
लुएँ प्रहरी।
-0-
<poem>'''