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|रचनाकार=नंदकिशोर सोमानी ‘स्नेह’
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
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<poem>थूं कैयो- राम
उण कैयो- रहीम
गया परा दोनूं
पीठ फोर’र आप-आपरै घरां।

अबै काल नै होय जावै
कोई लांठी वारदात
तो इचरज ना कर्या
क्यूंकै आपणै बिचाळै
जलमगी है-
एक नवी बात।</poem>
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