915 bytes added,
01:12, 13 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मोहन पुरी
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatRajasthan}}
{{KKCatKavita}}
<poem>ऊनाळा रा दिनां में
डोकरी
हेर्या, सूई-डोरा
अर त्यार करण लागी
फाटा गूदड़ा-कोथळ्यां।
डोकरा री फाटी
धोतियां नैं सींव’र
काढ़ द्या कानड़ा....
नान्या री पैंटां रै
लगा दी भांत-भांत री कार्यां
बूढी आंख्यां रो ग्रिस्थी पे पहरो है
ओ ई ठाला दिनां रो धारो है।</poem>