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16:00, 14 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|संग्रह=सब के साथ मिल जाएगा / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>उसकी पाती
मेरी पाती
कहां पाती ?
कब से राह देख रहा हूँ पाती का
अब नहीं आएगी पाती
कौन लिखें पाती
कैसे लिखें पाती
वो हाथ नहीं
वो कलम नहीं
वो कागज नहीं
फिर कैसे आएगी पाती !
पाती में खुशियाँ होती
पाती में जज्बात होते
पाती में दिल होता
पाती बल देती
पाती में वे खुद होते
पाती चूहे ले गये
पाती खो गयी!
बादलों के समन्दर में
</poem>