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16:13, 14 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|संग्रह=सब के साथ मिल जाएगा / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>तुम तपसी क्यों हो
क्या तुमने तपस्या की
मुझसे बोले
हाँ, मैनें तपस्या की
माँ के पेट में
एक नहीं, दो नही पूरे तीन साल
खूब खेलता
उघम मचाता
बाते माँ से करता
पूरे तीन साल!
जब मैं आया था
तीन साल का तपसी
माँ तो चली गयी
और मैं
तपसी हो गया
</poem>