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16:31, 14 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|संग्रह=सब के साथ मिल जाएगा / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>मुझे मेरा पानी लौटा दो
मेरा यह शरीर
मेरे चेहरे की मुस्कान
उसका थका सा चेहरा
सब कुछ बोल रहा हैं
कि तुमने
मेरा पानी
लिया नहीं चुराया
अपने में भर लिया
उसी से तो तुम
जिन्दा हो
ऐसे ही पानी का
शरीर है तुम्हारा
तुम्हारा पानी तो
कभी का
सूख चुका!
नही हैं तुम्हारे पास
कोई अपना पानी?
</poem>