गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
नगर-शोभा / रहीम
1 byte added
,
02:33, 15 मई 2014
गरब तराजू करति चख,भौंह मोरि मुस्काति।
डांडी मार ति विरह की,चित चिंता घटि जाति।।145।।
<
poeM
/poem
>
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,131
edits