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समधिन मेरी रसभीनी है / गोपालप्रसाद व्यास
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10:54, 15 मई 2014
<poem>
छह बच्चों की माँ है तो क्या,
मुंह
मुँह
पर उनके रंगीनी है,
समधिन मेरी रसभीनी है।
समधिन मेरी रसभीनी है।
दिख जाती-
चांद
चाँद
निकलता है
छिप जाती-नेह पिघलता है
सतराती-सिट्टी गुम होती
Sharda suman
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