747 bytes added,
10:31, 16 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=परमानंददास
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatPad}}
<poem>
आज बधाई को दिन नीको।
नंद घरनी जसुमति जायो है, लाल भामतो जीको॥१॥
पंच शब्द बाजे बाजत घर घर ते आयो टीको।
मंगल कलश लिये ब्रज सुंदरि, ग्वाल बनावत छीको॥२॥
देत असीस सकल गोपी जन चिरजीवो कोटि वरीसो।
परमानंद दास को ठाकुर गोप भेख जगदीसो॥३॥
</poem>