975 bytes added,
14:08, 17 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=देवकरण जोशी
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>दूध बेचणवाळो
मिलावै दूध मांय पाणी
दूध देवै पाणी नैं
आपरो नांव
अर पाणी ई बाजै दूध
ढाबैवाळो
चढावै टोपियो भट्टी माथै
हेटै देवै आंच
बळन लागै पाणी
रीसां बळ्योड़ो दूध
बासती बुझावण खातर
चढ जावै टोपियै रै किनारां
पण देवतां ई छांटो
पाणी रो
मंगसी पड़ जावै रीस
दूध री
मिल’र भायलै सूं
करै किलोळां
खदबद-खदबद।</poem>