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14:09, 17 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=देवकरण जोशी
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>ओ है कूवो
गयो नीं कदैई
तिरसायां कनै
आया तिरसाया ई
तिरस बुझावण नैं अठै
पण केई दिनां सूं
ओ है साव सूनो
मिनख तो मिनख
हेरी’ज जावै
सांसर ई
आवतां इन्नै
क्यूंकै अबै ओ
होयग्यो बिरावणो।</poem>