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09:39, 20 मई 2014 {{KKGlobal}}
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शयन भोग के समय
राधे जू आज बन्यो है वसंत।
मानो मदन विनोद विहरत नागरी नव कंत॥१॥
मिलत सन्मुख पाटली पट मत्त मान जुही।
बेली प्रथम समागम कारन मेदिनी कच गुही॥२॥
केतकी कुच कमल कंचन गरे कंचुकी कसी।
मालती मद विसद लोचन निरखि मुख मृदु हसी॥३॥
विरह व्याकुल कमलिनी कुल भई बदन विकास।
पवन पसरत सहचरी पिक गान हृदय विलास॥४॥
उत सखी चम्पक चतुर अति कदम नौतन माल।
मधुप मनिमाला मनोहर सूर श्री गोपाल॥५॥
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