701 bytes added,
10:49, 20 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सूरदास
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatPad}}
{{KKAnthologyKrushn}}
<poem>
हालरौ हलरावै माता ।
बलि बलि जाऊँ घोष सुख दाता ॥१॥
जसुमति अपनो पुन्य बिचारै ।
बार बार सिसु बदन निहारै ॥२॥
अँग फरकाइ अलप मुसकाने ।
या छबि की उपना को जानै ॥३॥
हलरावति गावति कहि प्यारे ।
बाल दसा के कौतुक भारे ॥४॥
</poem>