Changes

छमि सब लोभ जु छांड़ि छवौ रस लै समीप संचरै॥
करुना करन दयाल दयानिधि निज भय दीन डर।
इहिं कलिकाल व्याल मुख ग्रासित सूर सरन उबरे॥१२॥उबरे॥
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,130
edits