Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |संग्रह=मौन से बतक...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|संग्रह=मौन से बतकही / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>कोई सरोकार नहीं
तुम्हारें मेल-मिलाप का
कुंभ मेलो में मिलते हो
या हरकी पौड़ी
ब्रह्म कुंड पर
अपने में रहते हो मदमस्त
निर्वस्त्र-निर्गुण, महादेव के अनुचर हो
हाथों में त्रिशूल कमण्डल
अस्त्र-शस्त्र लिए बगल में
कंदराओं में धूनी रमाते
कुंभ से पहले कभी न मिलते
अखाड़ों के सैनिक हो
अलमस्त रहकर
नागा साधु कहलाते हो
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits