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18:29, 21 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|संग्रह=मौन से बतकही / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>हंसते और सयाने
चुहल करते
सुबह से साँझ
मेरी कोठरी में
अप-डाउन करते
बिना रोक-टोक
रेडलाइट एरिया के बच्चे
अचानक चलते-चलते
आते हैं मेरी कोठरी में
मना करने पर भी
पैताने बैठकर
पाँव दबाते मुखर होकर
आँखों पर सलवटें लाकर
आसुँओं को पीकर
बिना मुँह खोले
सबकुछ बयां करते/ सयाने से बच्चे
हँसते और सयाने से बच्चे
अपने घर की
चार दीवारी की परतों को खोलते
हँसते और सयाने
रेड लाइट एरिया के बच्चे
</poem>
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