1,143 bytes added,
12:20, 25 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पुष्पिता
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
राग की आग
--------------------------
राग की आग
भिजोती है
और अपनी
आर्द्रता में दग्ध करती है।
अर्क
--------------------------
देखती हूँ
प्रणय के चाँद को
एकटक
कि चाँदनी का अर्क
उतर आए
प्रणय की तरह।
प्रणयाकाश
-------------
प्रेम
मन को परत-दर-परत
खोलता है
और रचता है आकाश।
हथेली
---------
प्रणय
हथेली में
रखा हुआ
मधु-पुष्प है
साथ उड़ान की शक्ति
-------------------------
रचता है
शब्दों में
पृथ्वी का कोमलतम स्पर्श
सारी क्रूरताओं के विरूद्ध।
</poem>