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04:11, 29 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनिता भारती
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|संग्रह=
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<poem>
रखसाना कहती है
नहीं जानती साईबेरिया कहां है
नही जानती साईबेरिया में कितनी ठंड पड़ती है
नहीं जानती साईबेरिया के बच्चे क्या पहनते है
नही जानती साईबेरिया की औरतें कैसे रहती है
नहीं जानती साईबेरिया के लोग क्या खाते-पीते है
नहीं जानती कि वहां बीमार बच्चों को देखने डॉक्टर आता है नहीं
नहीं जानती कि वहां मरे बच्चों का हिसाब कैसे चुकाया जाता है
पर रुखसाना जानती है
साईबेरिया की ठंड में कोई खुले आसमान के नीचे नही सोता
</poem>