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जय अम्बे गौरी / आरती

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{{KKAarti|रचनाकार=KKDharmikRachna}}{{KKCatArti}}[[चित्र:Chamunda_amba.jpg]]<poem> जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरीतुम को निस दिन ध्यावतमैयाजी को निस दिन ध्यावतहरि ब्रह्मा शिवजी।बोलो जय अम्बे गौरी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी<BR>तुम माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को निस दिन ध्यावत<BR>मैयाजी मैया टीको मृगमद को निस दिन ध्यावत<BR>हरि ब्रह्मा शिवजी ।<BR>उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीकोबोलो जय अम्बे गौरी ॥<BR><BR>गौरी॥
माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को<BR>कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजेमैया टीको मृगमद को<BR>रक्ताम्बर साजेउज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको<BR>रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजेबोलो जय अम्बे गौरी ॥<BR><BR>गौरी॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे<BR>केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारीमैया रक्ताम्बर साजे<BR>खड्ग कृपाण धारीरक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे<BR>सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारीबोलो जय अम्बे गौरी ॥<BR><BR>गौरी॥
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी<BR>कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोतीमैया खड्ग कृपाण धारी<BR>नासाग्रे मोतीसुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी<BR>कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योतिबोलो जय अम्बे गौरी ॥<BR><BR>गौरी॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती<BR>शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धातीमैया नासाग्रे मोती<BR>महिषासुर धातीकोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति<BR>धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमातीबोलो जय अम्बे गौरी ॥<BR><BR>गौरी॥
शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती<BR>चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरेमैया महिषासुर धाती<BR>शोणित बीज हरेधूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती<BR>मधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करेबोलो जय अम्बे गौरी ॥<BR><BR>गौरी॥
चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे<BR>ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानीमैया शोणित बीज हरे<BR>तुम कमला रानीमधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करे<BR>आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानीबोलो जय अम्बे गौरी ॥<BR><BR>गौरी॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी<BR>चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरोंमैया तुम कमला रानी<BR>नृत्य करत भैरोंआगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी<BR>बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरूबोलो जय अम्बे गौरी ॥<BR><BR>गौरी॥
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों<BR>तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्तामैया नृत्य करत भैरों<BR>तुम ही हो भर्ताबाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू<BR>भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ताबोलो जय अम्बे गौरी ॥<BR><BR>गौरी॥
तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता<BR>भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारीमैया तुम ही हो भर्ता<BR>वर मुद्रा धारीभक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता<BR>मन वाँछित फल पावत देवता नर नारीबोलो जय अम्बे गौरी ॥<BR><BR>गौरी॥
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी<BR>कंचन थाल विराजत अगर कपूर बातीमैया वर मुद्रा धारी<BR>अगर कपूर बातीमन वाँछित फल पावत देवता नर नारी<BR>माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योतीबोलो जय अम्बे गौरी ॥<BR><BR>गौरी॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती<BR>मैया अगर कपूर बाती<BR>माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती<BR>बोलो जय अम्बे गौरी ॥<BR><BR> माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे<BR>मैया जो कोई नर गावे<BR>कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे<BR>बोलो जय अम्बे गौरी ॥गौरी॥<BR/poem>
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