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14:37, 30 मई 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार
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|संग्रह=पद-रत्नाकर / भाग- 4 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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<poem>
नन्द-यशोदा के घर प्रकट हुए थे जब राधा-प्रिय श्याम।
हुई प्रवाहित थी तब रस-आनन्द-सुधा-सरिता अभिराम॥
आज श्याम की हृदय-वल्लभा प्रकट हुई जब रावल ग्राम।
उमड़ चला वह रस-सागर बन, पवित कर सब दिशा ललाम॥
</poem>