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प्रकट हुए थे धराधाम में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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05:55, 31 मई 2014
भोगासक्ति-विनाशक, भव-बाधा-हर, दायक-प्रेम अनूप॥
प्रेम कृष्ण का, प्रेम कृष्ण में, स्वयं कृष्ण ही निर्मल प्रेम।
ह में
हमें
मिले, बस, एकमात्र वह, वही हमारा योग-क्षेम॥
कृष्ण-नाम-गुण गाओ अविरत प्रेमसहित नाचो तज लाज।
Mani Gupta
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