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अस्वीकरण
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मैं जानता था / निज़ार क़ब्बानी
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17:28, 31 मई 2014
कि प्रेमपत्र जो मैनें लिखे तुम्हें
वे तुम्हारे घमण्ड को प्रतिबिम्बित करने वाले
आईने से अधिक कुछ नहीं थे ।
.
**
००
फिर भी मैं ढोऊँगा
सामान तुम्हारा
अनिल जनविजय
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