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05:18, 1 जून 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सरवर आलम राज़ 'सरवर'
|अनुवादक=
|संग्रह=एक पर्दा जो उठा / सरवर आलम राज़ 'सरवर'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>दिल ने दुहराए कितने अफ़साने
याद क्या आ गया ख़ुदा जाने
बज़्म-ए-उम्मीद कब की ख़्वाब हुई
अब कहाँ शमा, कैसे परवाने?
सुब्ह के अश्क, शाम की आँसू
इश्क़ के देखिए तो नज़राने!
एक याद आई, एक याद गई
दिल में हैं सैकड़ों परी-ख़ाने
किस को भूलूँ, किसे मैं याद रखूँ
सारे चेहरे हैं जाने पहचाने
याद क्या आ गया सितम कोई?
आप बैठे हैं यूँ जो अनजाने?
पहले अपनी नज़र को समझाओ
फिर मेरे दिल को आना समझाने!
हाँ! करो और तुम मुझे रुस्वा!
ग़ालिबन कम किया है दुनिया ने?
हाये मजबूरियाँ मुहब्बत की
कोई क्या जाने, कोई क्या माने!
बेकसी, बेबसी, सुबुक-हाली
चुन रहा हूँ नसीब के दाने!
आरज़ू क्या है और क्या है उमीद
"सरवर" नामुराद क्या जाने?
</poem>