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05:56, 1 जून 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सरवर आलम राज़ 'सरवर'
|अनुवादक=
|संग्रह=एक पर्दा जो उठा / सरवर आलम राज़ 'सरवर'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>दिल ने किसी की एक न मानी
"उफ् री मुहब्बत, हाय जवानी"
ख़ुद ही करना,ख़ुद ही भरना
इश्क़ में है कितनी आसानी!
खोल न दे सब राज़ तुम्हारे
आईने की यह हैरानी!
उनके बदले बदले तेवर
ढंग नया है, रीत पुरानी!
इश्क़ की मंज़िल?अल्लाह अल्लाह!
दरिया, दरिया,पानी, पानी!
पास-ए-वफ़ा है वरना हम भी
कहते सब से राम-कहानी
दिल के बदले दर्द लिया है
आप इसे कह लें नादानी!
जैसी करनी, वैसी भरनी
और करो "सरवर" मन-मानी!
</poem>