गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
घन कुन्तल-मेघ घिरे / राजेन्द्र गौतम
44 bytes added
,
18:11, 1 जून 2014
<poem>
दिंग्नूपुर झनक उठे
घन कुन्तल-मेघ घिरे
कब सुध-बुध क्षण-पल की
चम-चम-चम जब चमकी
चंचल-चंचल जल की
हीरक-सी छवि, छलकी
ऐसी रस-धार बही
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,779
edits