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10:44, 2 जून 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार
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|संग्रह=पद-रत्नाकर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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<poem>
(राग पीलू बरवा)
बन्धुगणो! मिल कहो प्रेमसे-
‘रघुपति राघव राजाराम।’
मुदित चित्त से घोष करो पुनि-
‘पतीतपावन सीताराम॥’
जिह्वा-जीवन सफल करो कह-
‘जय रघुनन्दन, जय सियाराम।’
हृदय खोल बोलो, मत चूको-
‘जानकिवल्लभ सीताराम॥’
गौर रुचिर, नव घनश्याम छबि,
‘जय लक्ष्मण, जय जय श्रीराम।’
अनुगत परम अनुज रघुबरके-
‘भरत-सत्रुहन शोभा-धाम॥’
उभय सखा राघवके प्यारे-
‘कपिपति, लंकापति अभिराम।’
परम भक्त निष्काम-शिरोमणि
‘जय श्रीमारुति पूरण-काम॥’
अति उमंगसे बोलो संतत-
‘रघुपति राघव राजाराम।’
मुक्त कंठ हो सदा पुकारो-
‘पतीतपावन सीताराम॥’
</poem>