1,169 bytes added,
10:59, 2 जून 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार
|अनुवादक=
|संग्रह=पद-रत्नाकर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
}}
{{KKCatPad}}
<poem>
(राग आसावरी-ताल धुमाली)
मेरे एक राम-नाम आधार।
ढूँढथा यो पर मिल्यो न दूजो, भीर परेको यार॥
देखे-सुने अनेक महीपति, पंडित, साहूकार।
जद्यपि नीति-धरम-धन-संयुत, नहिं अस परम उदार॥
मात-पिता, भ्राता, नारी, सुत, सेवक, बंधु अपार।
बिपद-काल महँ कोउ न संगी, स्वारथमय संसार॥
करि करुना दयालु गुरु दीन्हों, राम-नाम सुख-सार।
दुस्तर भव-सागर महँ अटक्यो बेरो उतर्यो पार॥
</poem>