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18:20, 30 जून 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= संस्कारपरक गीत / मैथिली लोकगीत
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<poem>
आगे माइ डंड-कमण्डल बरुआ के गले मृगछाल
आगे माइ झोरा नेने फल्लां बरुआ मड़बहि ठाढ़
आगे माइ कहां गेली किए भेली आमा सोहागिन
हम भिखियरि लेल छी ठाढ़
आगे माइ के तोंहे थिकह, कौने देशक, कीए थिकहु तोर नाम
आगे माइ हम त छी आमा अहीं केर पुत्र, तपसी के लागल पियास
आगे माइ पहिल भीख आंचर झांपि आमा अपन देलखिन
कान कुण्डल गरा सोन
आगे माइ भनहि विद्यापति सुनू हे तपसी जुग जुग जीबथु कुल पुत्र
</poem>