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19:20, 30 जून 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
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<poem>कहथि सीता सुनू यौ बाबा
सुनू बाबा वचन हमार यो
हमरो बिआह करा दीअ यौ बाबा
हम बेटी बारि कुमारि यो
दछिन खोजल पछिम खोजल
खोजल मगह मुंगेर यो
सीता जुगुति वर कतहु ने भेटल
आब सीता रहली कुमारि यो
जाउ यौ नगर अवधपुर
राजा दशरथजी के पास यो
राजा दशरथजी के चारि बालक छनि
जेठकेँ तिलक चढ़ायब यो
छोटी मोटी देखि जुनि भूलब यौ बाबा
छोटहि छथि वीर महान यो
सात समुद्र जल बान्हि नरायब
खेलब सरयुग के तीर यो
ऊँच कय मड़बा भरा दीअ यो बाबा
ऊँच कय दुआरि लगाउ यो
चौदह कोस बाबा पृथ्वी चंछायब
चौदह वेद पढ़ायब यो
गया नोतब यो बाबा
झाड़ीखंड बद्रीनाथहि नोतब
पूब नोतब जगन्नाथ यो
एते बरिआत बाबा जल कतऽ पीताह
बाबा कुल होएत खिधांस यो
अगम - दीगम बेटी नदिया खुनायब
बाबा कुल बाजत नाम यो
जखन बरिआत सब चलल जनकपुर
चेरिया कलश नेने ठाढ़ यो
देबउ गे चेरिया सोना के गेरुलिया
मोरा आगू चरण पखारू यो
पहिल दुइ दान करब गाय-महींसिया
तेसर दान शाल-दुशाला यो
चारिम दान करब कान दुनू सोनमा
पांचम होएत कन्यादान यो
भेल बिआह चलू राम कोबर घर
सीता लेल अंगुरी धराय यो
</poem>
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