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10:01, 1 जुलाई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>गिरिजा पूजैत सिया फड़कय बामा नयना
हे शुभ अंगक फरकब
सखि हे राति देखल हम सपना
हे शुभ अंगक फरकब
गोर छबीले श्यामल सलोने
प्रीतम जनकजी के अंगना
हे शुभ अंगक फरकब
गोरे कुबंर मोर देओर हयता
प्रीततम श्यामल सलोना
हे शुभ अंगक फरकब
ई सुनि हँसि जनक जी सँ कहलनि
जिनकर नाम सुनयना
हे शुभ अंगक फरकब
तुलसीदास कहे सीता बड़ भागिनि
पाओल वर श्याम सलोना
हे शुभ अंगक फरकब
गिरिजा पूजैत सिया के
फरकय बामा नयना
हे शुभ अंगक फरकब
</poem>
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