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'{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया
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{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
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<poem>डाली कनक पसारल नैनहुँ योग बेसाहल
नैनहु कोनाकऽ अयलीह, सकल भुवन योग लयलीह
पहिलहि योगिन हर पकड़ल, दोसर भाव करू ओहि घर
तेसर पान लगाओल शिव गौरी संगहि खुआओल
भनहि विद्यापति गाओल, योगिनीक अन्त न पाओल

</poem>
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