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राजेश रेड्डी / परिचय

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==जन्म==
: 22 जुलाई 1952
उपनाम ==जन्म स्थान जयपुर==नागपुर, [[राजस्थान]], भारत कुछ प्रमुख==शिक्षा==हिन्दी साहित्य में परास्नातक 
==कृतियाँ==
उड़ान, आसमां से आगे
 
==पुरस्कार==
डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला सम्मान
 
==संपादन==
==अनुवाद==राजस्थान पत्रिका
==सम्पर्क==
7 बंग्लाज़, अंधेरी(पश्चिम)
मुंबई- 400 061
 
दूरभाष : 098215 47425
 
ई-मेल :rreddy@arenamobile.com
==विवरणआलेख==
<poem>
हिन्दुस्तान में जब ग़ज़ल इरान से आई तो उसे फ़क़ीरों की ख़ानकाहों में पनाह मिली। ग़ज़ल उस वक़्त इंसानियत के पैगाम का एक ख़ूबसूरत ज़रिया बनी। वक़्त के साथ -साथ ग़ज़ल को अलग - अलग लिबास पहना दिये गये। कभी तो ग़ज़ल महबूब के गेसुओं से उलझी ,कभी शमा बन के जली, कभी दरबार में कसीदा हुई तो कभी टूटे हुए दिल की आवाज़ और फिर धीरे- धीरे ग़ज़ल ने रिवायत से भी बगावत शुरू कर दी। औरतों से गुफ़्तगू करने वाली ग़ज़ल सच -झूठ की कशमकश , बच्चों के खिलौने , भूख, मुफ़लिसी , रोटी और फिर यहाँ तक कि नाज़ुक ग़ज़ल ने बन्दूक की शक्ल भी इख्तियार कर ली। 80 के दशक में ग़ज़ल कहने वालों ने शाइरी को नई परिभाषाएं दी और जब इसी दौर के एक शाइर का ये शे'र सुना तो लगा कि सच में ग़ज़ल की तस्वीर बदल गई है :--
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