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05:57, 10 जुलाई 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार
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|संग्रह=पद-रत्नाकर / भाग- 4 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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<poem>
मात-पिता-गुरु-भक्ति, एकपत्नीव्रत पावन।
भ्रातृप्रेम, शरणागतवत्सलता मनभावन॥
परम मधुर सौन्दर्य काम-शतकोटि-लजावन।
त्याग, शान्ति, वैराग्य, ज्ञान मुनि-चित लुभावन॥
शौर्य-नीति-बल-तेज शुचि उपजावत मन हर्ष है।
दुष्ट-दलन, सेवक-सुहृद राम परम आदर्श है॥
</poem>