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<poem>
ख़बर है दोनों को , दोनों से दिल लगाऊँ मैं,
किसे फ़रेब दूँ, किस से फ़रेब खाऊँ मैं ।
नहीं है छत न सही , आसमाँ तो अपना है,
कहो तो चाँद के पहलू में लेट जाऊँ मैं ।
यही वो शय है , कहीं भी किसी भी काम में लो,
उजाला कम हो तो बोलो कि दिल जलाऊँ मैं ।