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रंग जमुनिआ, मुँह टुनमुनिया / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’
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05:50, 12 अगस्त 2014
माय-बाप की पाठ पढौलनि ? अयलहुँ की मनमे नेयारि कनिया।
पुरूष पछाड़नि थिकहुँ की बहुरिया,
सैंतू साड़ी, गहना
ुगरिया
गुरिया
,कोंढ़ कपै’ए सत्ते कहै ’ छी ताकू न आँखि
गुडारि
गुड़ारि
कनिया।
</poem>
Lalit Kumar
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