{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमा द्विवेदी}}{{KKPustakकहने को तो कुछ भी कहो,स्वीकार नहीं हमको।<br>|चित्र=De Do Aakash.pngहम जैसे हैं वैसे ही हैं,इन्कार नहीं हमको ॥<br><br>|नाम=दे दो आकाश खामोश भी जब हम रहे,कमजोर समझा हमको |<br>रचनाकार=[[रमा द्विवेदी]]तोडेंगे मौन अपना देंगे जवाब तुमको ।<br>|प्रकाशक= संगम प्रकाशन, १०२, इम्पीरियल मनोर अपार्टमेंट, बेगमपेट, हैदराबाद-५०००१६हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं हमको ॥<br><br>प्रश्नों के कठघरे में घेरा है तुमने हमको ।<br>लेंगे हिसाब इक|वर्ष= सितम्बर-इक देना पडेगा तुमको ।<br>2005हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं हमको ॥<br><br>|भाषा=हिन्दीपत्थर भी टूट जाए कोसा है इतना हमको |<br>विषय=कविताएँसभ्यता का पाठ फिरसे पढ.ना पडेगा तुमको<br>|शैली=--हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं हमको ।<br><br>देखी नही जाती है सफलता हमारी तुमको ।<br>भारी पडी इक नारी दे दी शिकस्त तुमको |पृष्ठ=128|<br>ISBN=--हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं हमको ॥<br><br>राज़ मुबारक तुमको,ताज़ मुबारक तुमको |<br>विविध=--}}बस चाहते हैं इतना * [[दे दो आकाश हमको ।|<br>(कविता) / रमा द्विवेदी]]हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं हमको ॥<br><br>* [[न जाने कैसी आज़ादी / रमा द्विवेदी]]