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|रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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[[Category:बांगला]]
[[Category:राष्ट्रगान]]
जन गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
पंजाब , सिन्ध , गुजरात , मराठाद्राविड़ , उत्कल , बंगविन्ध्य , हिमाचल , यमुना , गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे
जन गण मंगल दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
जय हे , जय हे , जय हे
जय जय जय जय हे
'''इस रचना के यहाँ तक के पदों को भारत के राष्ट्रगान होने का सम्मान प्राप्त है। यहाँ से नीचे दिये गये पद भारतीय राष्ट्रगान का अंग नहीं हैं'''
 
अहरह तव आह्वान प्रचारित,
शुनि तव उदार वाणी
हिन्दु बौद्ध शिख जैन पारसिक
मुसलमान क्रिस्टानी
पूरब पश्चिम आसे
तव सिंहासन-पाशे
प्रेमहार हय गाथा।
जनगण-ऐक्य-विधायक जय हे
भारत भाग्य विधाता!
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे
पतन-अभ्युदय-वन्धुर-पंथा,