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तुम (हाइकु) / अशोक कुमार शुक्ला
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01:56, 26 अगस्त 2014
मायूसी हारी
(2)
हरारत है
आलिंगन तुम्हारा
पिघला तन
(3)
</poem>
Dr. ashok shukla
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