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10:45, 28 अगस्त 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पीयूष दईया
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
एक कहानी में महज़ कहानी है
जिसे मैंने कभी जाना नहीं
प्रकट होते न होते
मकड़ी के देश में
पृथ्वी
प्रकाश में
पिता
जल जाएंगे
कल
</poem>
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