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05:49, 31 अगस्त 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=राहुल राजेश
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
नगरपालिका की टोंटी पर
नागरिकों का जमघट है
बूँद-बूँद के लिए हाहाकार है
और लम्बी कतार है
खाली डब्बा, खाली बाल्टी
खाली कनस्तर, खाली घट है
और बस जीने का हठ है
यह भीड़ है, वोट बैंक है
शहर की तलछट है
रोज़-रोज़ का यह दृश्य
देश का चित्रपट है.
</poem>